गंगोत्री क्यों प्रसिद्ध है?

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गंगोत्री, उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। गंगोत्री प्रसिद्ध पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल है और इसका देवी गंगा से गहरा संबंध है। गंगा नदी गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और भागीरथी के नाम से जानी जाती है। हिंदू धर्म में, हिमालय पर्वत से निकलने वाली गंगा नदी को \”गंगा मैया\” और \”माँ गंगा\” कहा जाता है। गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इस गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री को माना जाता है।

चार धाम यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शांति और पुण्य का मार्ग बनकर आती है।  गंगोत्री धाम, उत्तरकाशी जिले में स्थित एक पवित्र तीर्थस्थान है, जो गंगा नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है।

 

गंगोत्री का धार्मिक महत्व

गंगोत्री हिमालय की गोद में, समुद्र तल से करीब 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां से गंगा नदी की यात्रा शुरू होती है। भागीरथी नदी को ही गंगोत्री में गंगा के रूप में पूजा जाता है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते हैं, क्योंकि मान्यता है कि यहां स्नान करने से जीवन भर के पाप मिट जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। 

गंगोत्री मंदिर का इतिहास

गंगोत्री मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने करवाया था। सफेद पत्थरों से बना यह मंदिर मई से अक्टूबर तक खुला रहता है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद हो जाता है और गंगा माता की मूर्ति उत्तरकाशी के ‘मुक्ति मंदिर’ में स्थापित कर दी जाती है।
गंगोत्री की वास्तुकला:
गंगोत्री मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में किया गया था। मुख्य मंदिर 20 फीट ऊंचे चमकदार सफेद ग्रेनाइट पत्थरों से बना है। गंगोत्री मंदिर की संरचना दूर से ही भक्तों को आकर्षित करने में सक्षम है। मंदिर के पास बहने वाली भागीरथी नदी में एक शिवलिंग भी है जो ज्यादातर समय जलमग्न रहता है।

कैसे पहुंचें गंगोत्री?

गंगोत्री पहुंचने के लिए उत्तरकाशी सबसे नजदीकी शहर है। यहां से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से गंगोत्री जाया जा सकता है। ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून जैसे शहरों से उत्तरकाशी और गंगोत्री के लिए बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। देहरादून और ऋषिकेश तक ट्रेन से पहुंचकर वहां से आगे सड़क यात्रा की जा सकती है।
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