मां काली बांह मंदिर

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इटावा : शहर किनारे स्थित सिद्ध पीठ मां काली बांह मंदिर प्राचीन काल से मां भगवती के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी के तट पर स्थित एक प्रतिष्ठित सिद्ध पीठ है। चैत्र और अश्विन मास में नवरात्रों के दौरान में जनपद ही नहीं अपितु दूरदराज के प्रांतों से भक्त हाजिरी लगाने आते हैं। नवरात्रों के दौरान विशाल मेला लगाया जाता है, एक किमी की दूरी में सजाई गई दुकानें आकर्षण का केंद्र बनती हैं।

इतिहास 

 

किवदंतियों के मुताबिक भगवान भोलेनाथ सती के शव को कंधे पर रखकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने महादेव को शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से शव के टुकड़े किए तो सती की बांह इसी जगह पर गिरी थी। महाभारत काल में मंदिर का निर्माण कराया गया था, एक ही शिलापट में मां के तीनों रूप विराजमान हैं।दौरान अश्वथामा के सिर में घाव हुआ तो उसका दर्द मिटाने को अश्वथामा ब्रह्म बेला में मां के दरवार में हाजिरी लगाकर उनके मंदिर में प्रज्वलित दीपक का तेल घाव पर लगाकर राहत पाता था। मां भगवती की कृपा से मंदिर समय-समय पर विकसित होता रहता है इससे मंदिर की भव्यता निरंतर बढ़ रही है।

विशेषता
आधुनिक साज सज्जा से परिपूर्ण मां काली बाहं मंदिर को चेयरमैन कुलदीप संटू गुप्ता ने आधुनिक साज सज्जा से परिपूर्ण कर दिया है, ग्वालियर हाइवे से मंदिर तक करीब तीन सौ मीटर की दूरी में डिवाइडर सहित फोरलेन सड़क, सड़क के मध्य म्यूजिकल फाउंटेन तथा नवनिर्मित मुख्य द्वार आकर्षण के केंद्र बन गए हैं। पानी की टंकियां, बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहराव के लिए कमरे युक्त हॉल व अन्य संसाधन मां का भव्य मंदिर आस्था का केंद्र बन गया है।
वास्तुकला का महत्व
मां कालीबांह पूरब की दिशा में विराजमान है, जो वास्तुकला की ²ष्टि से शुभ मैय्या अपने चमत्कार के प्रवाह से वर्ष पर पूजी जाती है। लोगों की मनोकामना पूर्ण करने वाली काली बांह मंदिर बास्तुकला के कारण ही सिद्धपीठ का दर्जा पा सका है।

ऐसे पहुंचें मंदिर

रेलवे स्टेशन से तकरीबन 6 किमी. इटावा-ग्वालियर मार्ग पर स्थित हैं। स्टेशन से भवन तक जाने के लिए ऑटो, व रिक्शा उपलब्ध रहते हैं। आगरा, ¨भड, ग्वालियर से आने वाले भक्त बस व निजी साधनों से भी पहुंच सकते हैं।

मां के दरबार की प्रथम आरती तड़के तीन बजे अधिवक्ता राधेश्याम द्विवेदी करते हैं। इसके पश्चात सुबह छह तथा रात नौ बजे नियमित आरती की जाती है। नवरात्रों के दौरान तड़के 3 से रात 11 बजे तक दर्शन करने का सिलसिला चलता है। मंदिर की सभी व्यवस्थाओं को बेहतर रखने में चेयरमैन तथा सेवादारों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।-विजय गिरि महाराज महंत।

भक्तों को विधि के अनुसार पूजा अर्चना करायी जाती है। नवरात्र में सभी को क्रम से माता रानी के दर्शन होते हैं और सभी की मनोकामना पूर्ण होती है।-राजेश तिवारी पुजारी

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